गवेषणा 2011 पृ-116
हिंदी भाषी समाज में कोड परिवर्तन का रूप
वर्तमान समय में भाषा की स्थिति निरतंर भौगोलिक एवं सामाजिक गतिशीलता के कारण परिवर्तित हो रही है जिससे भाषाभाषी समुदायों में कोड मिश्रण, कोड परिवर्तन एवं बहुभाषिकता की स्थिति उत्पन्न होना एक सामान्य तथ्य है। भाषा के अंतर्गत परिवर्तन की यह वास्तविकता भाषा को समृद्ध बनाने में सहायक होती है। ये भाषायी परिवर्तन विभिन्न भाषिक इकाइयों से घुलमिल जाते हैं जिससे एक अलग प्रकार के भाषा–व्यवहार का निर्माण होता है। इस भाषा–व्यवहार को कोड परिवर्तन कहते हैं। कोड परिवर्तन किसी एकभाषी अथवा बहुभाषी समाज के भाषिक व्यवहार का अभिन्न अंग कहा जा सकता है। कोड परिवर्तन एक ऐसा भाषायी रूप है जिससे भाषा की गतिशीलता एवं समृद्धि का परिचय मिलता है। सामाजिक सूचना में कोड परिवर्तन महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह कोड परिवर्तन प्रक्रिया न सिर्फ शिक्षित एवं अर्द्धशिक्षित, बल्कि अशिक्षितों द्वारा भी अपनायी जाती है। कोड परिवर्तन किसी द्विभाषी या बहुभाषी समाज में लोगों की बातचीत का अभिन्न अंग है, जिसमें वक्ता एक भाषा के स्थान पर दूसरी भाषा का प्रयोग करता है। भारतीय संदर्भ में अंग्रेजी सहभाषा होने के कारण सभी भारतीय भाषाओं के साथ इसका कोड परिवर्तन देखा जा सकता है। कोड परिवर्तन दो भाषाओं के संपर्क से उत्पन्न होता है लेकिन इसके लिए यह आवश्यक नहीं है कि वक्ता एक–दूसरे की भाषा न समझते हों। इसमें वक्ता को दोनों भाषाओं का ज्ञान होता है। वह इसका प्रयोग भिन्न–भिन्न तरह कर सकता है। कोड परिवर्तन से किसी भाषा के सरलतम रूप का जन्म होता है। यह भाषा–शैली को सामाजिक रूप से सरलीकृत करने की प्रक्रिया है। भारत जैसे बहुभाषी देश में कोड परिवर्तन एक आम स्थिति है।
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