गवेषणा 2011 पृ-27
प्रयोजनमूलक हिंदी : वैज्ञानिक और तकनीकी भाषा-रूप
भाषा के जिस रूप का प्रयोग किसी विशिष्ट प्रयोजन की पूर्ति हेतु किया जाता है, उस भाषा-रूप का प्रयोजनमूलक भाषा (Functional Language) कहा जाता है। हिंदी मे ‘फंक्शनल लैंग्वेज’ के समानार्थी शब्द के रूप में 'प्रयोजनमूलक' शब्द का प्रयोग बीसवीं सदी के सातवें दशक से होने लगा है। प्रयोजनमूलक हिंदी का तात्पर्य है-जीवन की विविध विशिष्ट आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु उपयोग में लाई जाने वाली हिंदी। प्रयोनमूलक हिंदी का मुख्य लक्ष्य है-जीविकोपार्जन के विविध क्षेत्रों मे प्रयुक्त होने वाले भाषा-रूपों को प्रस्तुत करना बीसवीं शती के अंतिम पाँच दशकों में हिंदी केवल सामान्य बोलचाल तथा साहित्य तक ही सीमित न रहकर प्रशासन, न्याय, पत्रकारिता, वाणिज्य, बैंक, विज्ञापन, आदि विभिन्न क्षेत्रों में भी प्रयुक्त हो रही है। ये सभी क्षेत्र औपचारिक भाषा-प्रयोग के क्षेत्र हैं, जिनके लिए हिंदी में, उन क्षेत्रों के भाषारूप को विकसित करने की आवश्यकता का अनुभव किया गया। इस प्रकार विभिन्न व्यवसायों से संबंधित व्यक्तियों जैसे– व्यापारी, पत्रकार, डॉक्टर, वकील, प्रशासक, वैज्ञानिक आदि के कार्यक्षेत्रों में प्रयुक्त विशिष्ट हिंदी का भाषा-रूप ही 'प्रयोजनमूलक' हिंदी कहलाता है। आज हिंदी मात्र साहित्य-आस्वादन तक ही सीमित नहीं है, वरन् उसका उपयोग जीविकोपार्जन से सम्बद्ध विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है।
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