समन्वय छात्र पत्रिका-2012 पृ-21:1
हाथी से बना हस्तीसंसारी नायक
हाथी एक अद्भुत प्राणी है। बेहद शांतचित्त, स्थिर व गरिमामय होने के साथ ही सात्विक और शाकाहारी, बिल्कुल प्राचीन काल से ऋषि-मुनियों के गुणों से भरपूर। महावत के इशारे मात्र पर अपने निर्धारित मार्ग का अनुसरण पूरी श्रद्धा एवं विश्वास के साथ करता है। एक छोटा सा अंकुश विशाल हाथी को संचालित कर देता है, तो इसमें महिमा हाथी की ही अधिक होती है। हाथी के कान सूप के आकार के होते हैं, जबकि आँखें छोटी तथा इसका सीधा सादा संदेश सिर्फ इतना है कि हाथी में सामने वाले की बात सुनने की इच्छा तथा क्षमता आनुपातिक रूप से अधिक होती है, जबकि छोटी-छोटी आँखें सूक्ष्म दृष्टि की प्रतीक। जीवन के हर क्षेत्र में चाहे वह व्यक्तिगत हो, सामाजिक हो या संस्था के संदर्भ में, यह दृष्टिकोण सर्वाधिक उपयोगी व फलदायी है। हम स्वयं में दूसरों की बात ध्यानपूर्वक तथा पूरे मनोयोग से सुनने की क्षमता विकसित करें, ताकि उसमें से तथ्य निकालकर अपनी कार्यविधि निश्चित कर सकें। इसी प्रकार आसपास घटित हो रही घटनाओं के प्रति हमारी दृष्टि सूक्ष्म हो। हाथी जब अपनी राजसी, धीर, गंभीर चाल से चलता है, तो लोग उसे श्रद्धा से प्रणाम करते हुए मार्ग प्रशस्त कर देते हैं, लेकिन इससे न तो वह इतराता है न ही अपने व्यक्तित्व के दंभ का संचार कर लेता है और न ही नमस्कार का उत्तर ओछे लोगों की भांति गर्वोन्मत होकर देता है। वह मूल स्थिति को बरकरार रखकर शांत चित्त से चलता रहता है। उसके पीछे श्वान भौंकते हुए लग जाते हैं, पर वे केवल भौंक पाते हैं। इसके जीवन का सार है यानि हम तो प्रशंसा से फूलकर कुप्पे हो जाएँ और न निंदा से निराश। एक बार अपना मार्ग निर्धारित कर लें और फिर अपनी आत्मा की आवाज के अनुसार उस पर दृढ़ता से चलते रहें। पारंगत
|