अध्याय-4
हिंदी शिक्षण कार्यक्रम
राजभाषा के रूप में हिंदी को स्वीकार करने के पश्चात भारत सरकार ने अपने सभी कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए हिंदी भाषा का कार्यसाधक ज्ञान अनिवार्य कर दिया था, इसीलिए केंद्रीय सरकार ने अपने गृह मंत्रालय में राजभाषा विभाग की स्थापना की और इसके अंतर्गत हिंदी शिक्षण योजना का शुभारंभ किया और सभी मंत्रालयों और उनके अधीनस्थ कार्यालयों, संस्थाओं आदि में हिंदी शिक्षण योजना के अंतर्गत हिंदी अधिकारियों और शिक्षकों की नियुक्ति की गई, जिससे सभी सरकारी कर्मचारी हिंदी का कार्यसाधक ज्ञान प्राप्त कर सकें और सरकारी कार्यों को हिंदी में करने की क्षमता प्राप्त कर सकें। इस योजना में एक समस्या थी कि भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारी लंबे समय तक हिंदी सीखने के लिए समय नहीं निकाल पाते थे, इसलिए गृह मंत्रालय ने 1969 में शिक्षा मंत्रालय द्वारा आहूत भाषा वैज्ञानिक के सम्मेलन में यह प्रश्न उठाया कि क्या 2-3 माह के सीमित समय में हिंदी भाषा का कार्यसाधक ज्ञान दिया जा सकता है। जब कुछ भाषा वैज्ञानिकों ने सकारात्मक उत्तर दिया, तो राजभाषा विभाग ने शिक्षा मंत्रालय के केंद्रीय हिंदी संस्थान से अनुरोध किया कि वह दिल्ली में अपना एक परिसर खोले और भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को सीमित समय में हिंदी सिखाने का कार्य करे।
इसी निर्णय के अनुसार संस्थान जो अब तक हिंदी शिक्षक प्रशिक्षण का कार्य कर रहा था, अब हिंदी भाषा के शिक्षण के क्षेत्र में एक नयी दिशा देने के लिए तत्पर हुआ। दिल्ली में हिंदी के गहन शिक्षण के लिए पाठ्यक्रम शिक्षण सामग्री आदि तैयार की गयी। भारत सरकार के राजभाषा विभाग के हिंदी शिक्षण को कार्य 1970-71 में दिल्ली केंद्र में प्रारंभ हो गया। आगे चलकर मातृभाषा के भेद के आधार पर इस पाठ्यक्रम को दो वर्गों में विभाजित किया गया। दक्षिण भारत की भाषाओं को बोलने वाले व्यक्तियों के लिए त्रैमासिक और अन्य भाषा-भाषियों के लिए द्विमासीय पाठ्यक्रम तैयार किए गए। इस प्रकार भाषा शिक्षण के दो पाठ्यक्रम संस्थान में शुरू हुए।
इसी बीच संस्थान के दिल्ली केंद्र ने हिंदीतर भाषी संसद सदस्यों के लिए एक कंपोजिट हिंदी शिक्षण का पाठ्यक्रम तैयार किया और संसद सदस्यों को हिंदी का व्यावहारिक ज्ञान देने के लिए संसद-भवन में ही हिंदी शिक्षण के पाठ्यक्रम का संचालन किया गया और उसके लिए उपयुक्त शिक्षण सामग्री का निर्माण भी किया गया।
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केंद्रीय हिंदी संस्थान
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स्वर्ण जयंती 2011
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