चले गए थे आप जिस दिन,
नभ में नहीं था दिवाकर उस दिन।
बरसाए थे आँसू अंबर ने दुख के,
वेदना में बरस पड़े अश्रु पेड़-पौधों के।
चले गए थे आप जिस दिन,
नभ में नहीं था दिवाकर उस दिन।
बर्मा आया, भर अहंकार,
कर गया सुख के अम्बुद तितर-बितर।
चले गये थे आप जिस दिन,
नभ में नहीं था दिवाकर उस दिन।
हो गया था अपवित्र दिमाराजी, सुना आपके जाने से,
हिन्दुस्तान का भी हर कोना हो गया सूना आपके जाने से।
अपनाया हमें, लगाकर कंठ सभी ने हर्ष से,
चले गए थे आप जिस दिन इस जग से।
आपके विरह की पीड़ा में दिमाराजी रोया,
दिमासा रोया और सकल संसार रोया।
हे वीर ! करते हम स्मरण उस ईश को,
कर शत- सहस्त्र नमन आपको।