मैं देख रहा हूँ रेखा को,
सब तरफ है रेखा,
भाषा में भी रेखा,
प्रकृति में भी रेखा,
बारिश में भी रेखा,
मैं देख रहा हूँ रेखा को,
सब तरफ है रेखा।
देश की सीमा की भी है एक रेखा,
जाति-धर्म-संस्कृति की भी है रेखा
आदमी-आदमी की सीमा की भी है रेखा,
मैं देख रहा हूँ रेखा को,
सब तरफ है रेखा।
आसमान की भी है रेखा,
सूरज की भी है रेखा,
चाँद की भी हे रेखा,
मैं देख रहा हूँ रेखा को,
सब तरफ है रेखा।
लक्ष्मण ने भी सीता के लिए खींची थी एक रेखा,
राम की थी एक रेखा,
रावण की भी थी एक रेखा,
मैं देख रहा हूँ रेखा को,
सब तरफ है रेखा।
दिल को चीरने वाली भी है रेखा,
प्यार की भी है एक रेखा,
मेरी भी है एक रेखा,
जिसको देखा मैंने उसकी भी है एक रेखा,
जिसको प्यार के लिए चुना वह भी है रेखा,
जिसको जीवन साथी चुना वह भी है रेखा,
मैं देख रहा हूँ रेखा को,
सब तरफ है रेखा........।