है तीर्थ भी यहीं
है ज्ञान का प्रकाश भी
है पावन तुलसी का वास भी,
जहाँ कोई संसारी तो कोई कंवारा है,
बहती जहाँ मंदाकिनी की धारा है
रहता जहाँ गोपियों का कान्हा है।
मित्र जिसका सुदामा है
माथे पर जिसके तिलक है।
वे वीरेन्द्र हैं, वीर हैं, बहादुर हैं, जब्बार हैं।
मदन मोहन भी उनका एक उपनाम है।
लक्ष्मी, सरस्वती, रुकमणी, सविता, दीपिका,
सारी देवियों का यहाँ निवास है
उनमें से ही एक सीमा विश्वास है।
नहीं जहाँ जाति धर्म का नाम है
रहते जहाँ, डेविड, कैनी, डफी, मिर्जा और राम हैं।
प्रेम ही जिनका धर्म है
प्रेम ही उनकी गीता है, कुरान है।
राहुल, संजय, अरुण और उत्तम जैसे विद्वान बैठे मौन हैं
उनके साथ में ही बैठें अपनी दीपिका पादुकोण हैं।
ऐसी हमारी संस्कृति हिली मिली है।
लाखों फूल हैं यहाँ
पर सबसे प्यारी लिली है
किसी का मजाल है? जो हमसे भिड़ जाए
उसे साक्षात शिवशंकर जी न निगल जाए
उसके लिए तो हमेशा एक तूफान ही काफी है
फिर क्या हस्त्र हो? अगर ! उसे झाँसी की रानी मिल जाए।
कसम तीरम की उसकी सारी मर्दानगी मिट्टी में मिल जाए।
इसीलिए मुझे अपनी पारंगत कक्षा पर अभिमान है
यहाँ के सभी लोग महान हैं।
आचार्य, योगाचार्य गुरु
बब्बन सिंह को भी
मेरा प्रणाम है।
वेस्ट बंगाल आसनसोल में रहता हूँ।
और प्रमोद मेरा नाम है।