हम भारत माँ के बच्चे हैं,
सब हैं भाई-भाई!
हमको लेकिन अपनी माँ की,
चिंता नहीं सताई।।
जहाँ देखिए बस दिखता है,
भ्रष्टाचार और आतंक।
एक तरफ से दूसरी तरफ तक,
जिसे देखिए वही सशंक।।
विश्रृंखल जीवन की धारा,
जिधर देखिए, अफरा-तफरी।
बने बगुला अपने नेता,
जनता बेचारी है सफरी।।
हाल बताऊँ क्या भारत का,
रोज घोटाले पर घोटाला।
जो प्रतिदिन है चीर खींचता,
वही है लाज का रखवाला।