खाना, खेलना, कपड़ा, खिलौना,
घूमना, स्कूल जाना सोना...
सभी तो मुझको मिला बस...
इन सब में थी तेरी कमी।।
सुबह उठता, नहाता, धोता,
तैयार होकर स्कूल जाता।
हर दिन जाते वक्त पीछे देखता,
बाय-बाय करते समय थी तेरी कमी।।
खेला खूब दौड़ा भागा,
पसीने से पूरा शरीर भीगा
लौटा जब भी घर पर कभी
देखा, हाथों में पल्लू लेकर
पोंछने के लिए पसीना थी तेरी कमी।।
खाना तो खूब पकवान से बना
जलेबी, गुलाब जामुन, समोसा, पेठा
कभी न पेट भर मैं खा पाया
क्योंकि उसमें थी तेरी कमी।।
बीमार हुआ, डॉक्टर आया
बड़े अस्पताल में भर्ती करवाया
दवा, दारू सब कुछ मिला
कमी थी बस तेरे हाथों के स्पर्श की।।
बड़ा हुआ, दोस्त मिले
अच्छे बुरे सब साथ चले
कमी मैं तो कभी वे गलत
बस रास्ता दिखाने में थी तेरी कमी।।