स.पू.अंक-13,अक्टू-दिस-2011,पृ-1
संगीत-साहित्य के महाप्राण हजारिका का महाप्रयाण : विशेष आलेख
संस्कृति के महानायक भूपेन हजारिका का महाप्रस्थान
असम तथा पूर्वोत्तर भारत के सांस्कृतिक जगत के मध्याह्न दिवाकर, विश्व–कलाकार, 'यायावर', सुधाकंठ डॉ. भूपेन हजारिका (1926–2011) का महाप्रयाण निश्चित रूप से एक महायुग का अवसान है, पन्द्रहवीं सदी में महापुरूष शंकरदेव ने असमिया समाज का नव्य बुनियाद तैयार किया था, आधुनिक युग में लक्ष्मीनाथ बेजबरूवा ने पूरे समाज को नयी वाणी दी थी, ज्योतिप्रसाद 'आगरवाला' और विष्णु प्रसाद राभा ने संस्कृति को पल्लवित किया था और भूपेन हजारिका ने उस संस्कृति को नये रूप रंग के साथ विश्व–मंच पर प्रतिष्ठा दिलायी। बहुआयामी व्यक्तित्व के अधिकारी डॉ. भूपेन हजारिका ने असमिया, बांग्ला और हिंदी संगीत जगत में जो अवदान दिया उसकी कोई तुलना हो ही नहीं सकती। गायक, गीतकार, संगीतकार, संगीत निर्देशक, फ़िल्म निर्देशक, साहित्यकार, अध्यापक, राजनीतिविद, चित्र–कलाकार आदि वैविध्यमय व्यक्तित्वों का एकत्र रूप एक ही व्यक्ति में उपलब्ध होना निश्चय ही दुर्लभ है पर हजारिका जैसे अद्वितीय कलाकार के लिए ही इन सब गुणों को एक साथ धारण करना संभव है। सन 1926 ई. में असम के शदिया नामक स्थान में जन्म लेने वाले भूपेन हजारिका के पिता का नाम नीलकांत हजारिका और माता का नाम शान्तिप्रिया हजारिका है। सन 1930 ई. में इनको संगीत प्रस्तुत करने का मौका मिलता है, उस सभा में उपस्थित साहित्यरथी लक्ष्मीनाथ बेजबरूवा ने उनको आशीर्वाद देकर बड़े गायक बनने की भविष्यवाणी की थी। भूपेन ने सन 1937 ई. में पहला संगीत खुद लिखा था। सन 1939 में ज्योतिप्रसाद 'आगरवाला' की दूसरी फ़िल्म ‘इन्द्रमालती’ में एक साथ संगीत और अभिनय प्रस्तुत किया था। सन 1942 में उच्च शिक्षा के लिए बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय जाते हैं और दो साल बाद राजनीति विज्ञान में स्नातक बनते हैं। सन 1946 ई. में उसी विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान विषय में स्नातकोत्तर डिग्री हासिल करते हैं। धातव्य है कि बनारस निवास के दौरान डॉ. हजारिका जी को सर्वपल्ली राधाकृष्णन, मदन मोहन मालवीय, ओंकारनाथ ठाकुर, चन्द्रशेखर जैसे तेजस्वी व्यक्तित्वों का सान्निध्य प्राप्त हुआ था। इस मधुर सान्निध्य ने उनके बहुआयामी व्यक्तित्व को निश्चय ही समृद्ध किया था। सन 1947 ई. में आपने गुवाहाटी स्थित वि. बरूवा कॉलेज में अध्यापन किया था। परन्तु शोध कार्य के लिए सरकारी वृत्ति मिलने हेतु सन 1949 को वे अमरीका के लिए रवाना होते हैं। इसी बीच सन 1950 ई. में अफ़्रीका निवासी एक गुजराती परिवार की बेटी प्रियम्वदा पटेल के साथ उनकी शादी हो जाती है। प्रियम्वदा के साथ भूपेन हजारिका का संबंध स्थापित होने के पीछे भी रोमांचकारी घटना है। अमरीका रहते समय एक बार भूपेन हजारिका अस्वस्थ हो गए थे। उनके हालत दिन व दिन दयनीय होते जा रहा थे। भला ऐसी हालत में कोई कैसे चुपचाप बैठे रह सकता है? कम से कम प्रियम्वदा तो इस कोटि की लड़की है नहीं। बस, उसने अपनी निष्ठा और सेवा से भूपेन हजारिका के जीवन को बचा ही नहीं लिया, बल्कि उनके हृदय को भी जीत लिया। भूपेन हजारिका ने अत्यन्त अनिश्चयता और बिना प्रस्तुति में ही प्रियम्वदा को जीवन–साथी बनाने का निर्णय लिया। |
संबंधित लेख
क्रमांक | लेख का नाम | लेखक | पृष्ठ संख्या |