स.पू.अंक-13,अक्टू-दिस-2011,पृ-135
नागा भूमि एवं हिंदी प्रचार-प्रसार की स्थिति
नागालैंड संघीय भारत का पूर्वोत्तर के सात राज्य मध्य का एक राज्य है। दिनांक 1दिसम्बर, 1963 को इसे भारत का सोलहवाँ राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ। इसका क्षेत्रफल 16.579 वर्ग किलोमीटर है। इसकी ऊँचाई समुद्र तल सें 194 से लेकर 3014 मीटर तक है। यहाँ का 3840 मीटर सबसे ऊँचा सारामति पर्वत तुएनसाङ में हैं और 3014 कि.मी. ऊँचा झापूँ पर्वत कोहिमा राजधानी के नजदीक झूमता हुआ दिखाई देता है। कोहिमा के ही पास बहुत ही सुन्दर एवं मनोहर जुकु घाटी पर्यटकों का आकर्षण बनता जा रहा है और यहाँ पर दूसरा विश्व युद्ध स्मारक भी है। प्रशासनिक सुविधा हेतु राज्य को 11 जिलों मे विभाजित किया गया है- कोहिमा, वोखा, फेक, मोकोकचुङ, तुएनसाङ, मोन, जुन्हेबोतो, दीमापुर, लोङलेङ, किफिरे तथा पेरेन। नागालैंड उत्तर–पूर्व में अरूणाचल प्रदेश, दक्षिण में मणिपुर, पश्चिम में असम और पूर्व में म्यांमार (बर्मा) से घिरा हुआ है। नागालैंड हरे–भरे जंगल, मनोहर वादियाँ, एक दूसरे से कंधों से कंधा मिलाता हुआ पर्वतों का भू–दृश्य, वक्राकार की कल–कल बहती हुई नदियाँ, एवं विभिन्न प्रकार के वन्य प्राणी आदि के सौंदर्य के लिए माना हुआ प्रदेश है। ‘नागा’ शब्द स्थानीय न होकर बाहर के लोगों की देन है। माना जाता है कि इस शब्द का प्रचलन ई. सन 150 से चला आ रहा है। इसके सृजन के बारे में विभिन्न मत पाए जाते हैं। जैसे कि ‘नागालोगोई’ – अर्थ – नंगा, ‘नाका’ – अर्थ – कान में छिद्र वाले, ‘नंगा’– वस्त्र विहीन आदि। लोगों का मत जैसा भी हो आज नागाओं को नागा शब्द से अत्यंत गर्व है। नागाओं का जाति–वर्ग मंगोलीय लोगों से ताल्लुक रखता है। कब और कैसे नागाओं का देशान्तर गमन वर्तमान भूमि में हुआ सटीक रूप से बताना संभव नहीं है। लोग इसकी खोज में लगे हुए हैं। परंतु पूर्वजों की कहानियाँ एवं लोक कथाओं से पता चलता है जैसे कि अंगामी, छाकेसाङ, सेमा, लोथाओं का मानना है कि अलग–अलग समय पर अलग–अलग दलों में वे लोग सापोउमारम्थ क्षेत्र मेक्रोरा (माखेल) में देशान्तर हुए हैं। वैसा ही आओ जातियों का भी मानना है कि उनका प्रवेश वर्तमान स्थान में लोंगतेरोक (छ: पत्थर) साङतम इलाका, चुङलीयिम्ती जो वर्तमान में तुएनसाङ ज़िले में है, वहीं से हुआ है। ‘आओ’ शब्द ‘आओर’ शब्द का संधि विच्छेद शब्द है। ‘आओर’ का अर्थ होता है ‘नदी पार हो गए’ और अन्य छुट गए के लिए ‘मेरिर’ शब्द का प्रयोग देखा गया है, जिसका अर्थ होता है ‘नदी के उस पार रह गए’। छूटे हुए लोग थे- साङतम, चाङ, फोम एवं कोन्याक आदि। इस कथन से अनुमान लगाया जा सकता है कि किस प्रकार नागाओं का देशांतरण हुआ था। भाषायी दृष्टि से नागा लोग तिब्बती–बर्मी उप–परिवार से संबंध रखते हैं। सामान्यत: माना जा सकता है कि नागाओं का देशांतरण चीन से होते हुए बर्मा एवं माखेल (मणिपुर) और अंत में विभिन्न दलों में विभक्त होकर वर्तमान स्थान नागालैंड, मणिपुर, असम, अरूणाचल प्रदेश एवं बर्मा में सदियों से निवास कर रहे हैं। |
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