स.पू.अंक-13,अक्टू-दिस-2011,पृ-214
मेरे मन की इच्छा अधूरी रह गई लेकिन जीवन में एक नवीन ज्ञान जरूर पाया, कल तक जो सुना करता था आज देख लिया। उसके बाद शाम ढल रही थी भगवान भास्कर भी विश्राम करने के लिए ब्रह्मपुत्र के गोद में जा रहे थे और हम लोग भी ब्रह्मपुत्र की गोद से निकलकर सुवनसिरी नदी के किनारे बसा नगर लखीमपुर के एक गांव आजादनगर के लिए निकल पड़े।
जे. आर. पी. (मैथिली) साक्षात्कारप्रयोगधर्मी कहानीकार श्री एन. कुँजमोहन से एक साक्षात्कार
एन. कुंजमोहन सिंह मणिपुरी भाषा के प्रयोगधर्मी कहानीकारों में सबसे सशक्त माने जाते हैं। उनकी कहानियाँ जीवन को बहुत गहन और तीक्ष्ण दृष्टि से देखने की माँग करती हैं। उन्होंने कहानी की विकास यात्रा के कई चरणों का साक्षात्कार किया है और स्वयं मणिपुरी कहानी को जन प्रतिरोध की सशक्त और प्रभावशाली परम्परा दी है। कुंजमोहन कहानियों के अलावा यात्रावृत और निबंध भी लिखते हैं। उनके अब तक छः कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। कहानी और मणिपुरी कहानी को समझने के लिए कुंजमोहन के रचना अनुभवों से परिचित होना एक उपलब्धि है। यहाँ प्रस्तुत है उनके साथ हुई बातचीत के कुछ अंश। यह बातचीत धनपति सुखाम ने दिनांक 08.04.2011 को कुँजमोहन के आवास पर की थी। धनपति सुखाम – आपने साहित्य के क्षेत्र में कब कदम रखा ? |
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