स.पू.अंक-13,अक्टू-दिस-2011,पृ-42
कोर्गुमबेला
कोरदुमबेला अत्यधिक ही बदसूरत था। एक बार उसने अपने खेत के सीमांत बाहर ही एक फंदा बनाकर रख दिया। वह उसे रोज देखने जाता था पर उसमें फँसा कोई भी उसके हाथ न लगता था। कोरदुमबेला अब उसकी निगरानी करने लगा। कुछ देर बाद एक वजूनतेइ (एक काला पक्षी, कोयल से छोटा पर उसकी पूँछ लंबी होती है) आया और उसके फंदे में फँस गया। तभी पास ही में छिपे कोरदुमबेला ने उसे जा दबोचा। वाजूनतेइ ने उससे कहा – “मुझे छोड़ दो तो तुम्हारी भलाई की बात कहूँ।” कोरदुमबेला ने झट से कहा– “तो बताओ मेरी भलाई किसमें है ?” वाजूनतेह ने उत्तर दिया– “रात को तुम राजा के घर के पिछवाड़े जाना, और राजा से कहना – “हे राजा! यदि तुम अपनी बेटी का हाथ कोरदुमबेला को न दोगे तो तुम्हें दुश्मन मार डालेंगे, तुम्हारे गाँववालों को भी नहीं छोड़ेंगे, यदि तीन रातों तक यही करते आओगे तो तुम्हारी भलाई होगी।” कोरदुमबेला ने उसे छोड़ दिया और वह चुपचाप अपने घर का रास्ता नापने लगा। रात को वाजूनतेइ के अनुसार वह राजा के घर के पिछवाड़े पहुँच गया, और कहा – “हे राजन! यदि तुम अपनी बेटी का हाथ कोरदुमबेला को न दोगे तो तुम्हें दुश्मन मार डालेंगे, तुम्हारे गाँववालों को भी नहीं छोड़ेंगे”। पहली बार सुनने में तो राजा को विश्वास नहीं हुआ परंतु जब वही लगातार तीन रातों तक सुनने में आया तो राजा बौखला गया। मगर अपनी सुशील और सुंदर बेटी का हाथ उसे दिया जाए जो गाँव के युवकों में भी सबसे कुरूप है, उसे गवारा न हुआ और अपनी बेटी से पूछ बैठा – बिटिया रानी! अपने पिता और सभी प्रजा को खोना चाहती हो या कोरदुमबेला को अपनाकर अपने पिता और सभी प्रजा को पाना ?” राजकुमारी असमंजस में पड़ गई। उसे कोरदुमबेला को पति के रूप में स्वीकारना कतई पसंद नहीं था। यदि वह कोरदुमबेला को नहीं अपनाती तो उसे अपने पिता और सभी प्रजा को खोना था, बेचारी ने अनिच्छा से उससे विवाह कर लिया। कोरदुमबेला सचमुच बहुत प्रसन्न था, लेकिन राजकुमारी उससे घृणा करती थी और उसके साथ ऊब जाया करती थी। एक रोज सुबह कोरदुमबेला ने उससे कहा – “जाओ, अपने पिता के यहाँ जाकर जाल ले आओ, मैं नदी में मछली पकड़ने जाता हूँ।” राजकुमारी जाल लेने चली गई। कोरदुमबेला को देखने की इच्छा न होने के कारण वह काफी देर तक माइके में रूकी। उसके पिता ने उससे कहा – “अब वापस घर जल्दी जाओ.” न चाहते हुए भी उसने वह जाल कोरदुमबेला को दे दिया। कोरदुमबेला नदी में चला गया। उसने नदी में जाल फेंका। जाल में एक अजीब–सी झिंगुर की तरह की मछली फँसी, उसने भी कोरदुमबेला से कहा – “मुझे छोड़ दो तो तुम्हारी भलाई की बात कहूँ।” कोरदुमबेला ने झट से कहा – “तो बताओ मेरी भलाई किसमें है ?” उस मछली ने उत्तर दिया – “नदी में कूदो और नहाओ, अपने बदन को एक चिकने पत्थर से रगड़–रगड़कर देखो तो अच्छा हो।” फिर क्या था, वह नदी में कूदा और नहाने लगा और उस मछली के कहने के अनुसार चिकने पत्थर से उसने अपने बदन को कई बार रगड़ा। नहाने के बाद जब उसने स्वयं को गौर से देखा तो उसका सारा बदन गोरा हो गया था और बहुत सुंदर भी। |
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