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3. वाइङटुई न्हार[1] आ
खुङ्रू जूंङ् चुन आ
चंङ्टुई जूंङ् कलेनना
नइलुंङ्दीनु[2]
चंङ्बन[3] ना ककै ए[4]
ककै थ्रे[5] लम लो।।
- अर्थात् – जंगल के पहाड़ों में जमके वर्षा हुई जिससे बाढ़ आ गई और मेरी प्रेमिका उसमें बह गई। मैंने प्रेमिका की बाँहे पकड़कर उसे पानी में बहने से रोकने की कोशिश की पर मैं उसे नहीं रोक पाया अर्थात् मृत्यु को कोई नहीं रोक सकता।
4. कचुन इन सम
कजोन सम लौ ए
टेनना मिहै था लै इन सम ए
टेनना मिहै था लै इन सम ए
खुंङ्पुई थुक इन था लै इन सम ए।।
- अर्थात् – हमारे निर्धन माता – पिता की मृत्यु हो गई तो कौन सी बड़ी बात है इस दुनियाँ के जितने धनी व्यक्ति है उनकी भी एक न एक दिन मृत्यु हो ही जाएगी अर्थात् मृत्यु निर्धन और धनी व्यक्ति का कोई भेद नहीं रखती। मृत्यु आने पर निर्धन, धनी सब लोग मर जाएँगे।
प्रस्तुत पाँचो लोक गीत मैंने एक ही स्रोत से संग्रह किए हैं।
संपर्क सूत्र :
शोधछात्रा, हिंदी विभाग़ मणिपुर विश्वविद्यालय
काँचीपुर– इम्फाल, पिन – 735003
का तिडआव (कौआ)
- (खासी भाषा से)
- संग्रह एवं भाषांतरण- श्रीमती जीन एस. डखार
- मूल
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का तिङआब डुर मा सिम का डॉन
काम स्नेउ दूर कुम मिन्ता,
का डाव का लॉङ बा ब्लेई ऊ डॉम
बा पिन्यॉक यु मासी।
हाडेन बा का ला डैप फाह यॉक
खूबौर शू ब्रेउ का ब्थाह,
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- भाषांतरण
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कौआ था एक सुंदर पंछी
वर्तमान जैसे बदरूप नहीं
कारण था कि ईश्वर क्रोधित था
कि उसने गाय को उगने को उकसाया
उगाने के पश्चात् कौवे ने
मनुष्य को संदेश पहुँचाया,
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