स.पू.अंक-13,अक्टू-दिस-2011,पृ-86
मणिपुरी संस्कृति की आधार भूमि - मणिपुरी रास
मणिपुरी संस्कृति अपने में बहुत प्रसिद्ध है। इसकी सांस्कृतिक विशेषताएँ सभी को अपनी ओर खींचती हैं। मणिपुरी रास मणिपुरी संस्कृति की विशेष पहचान है। यह भारत में ही नहीं सम्पूर्ण विश्व में प्रसिद्ध है। यह गीत और नृत्य का सम्मिलित रूप है। यह भारत के शास्त्रीय नृत्यों में विशिष्ट स्थान रखता है। नृत्य का आधार राधा और कृष्ण का पवित्र प्रेम है। यह भक्ति और उपासना की एक विधि है। यह विधि संस्कृति से जुड़ी हुई है। अत: संस्कृति को जानना आवश्यक है। संस्कृति की अवधारणा बहुत व्यापक है। इसके आयाम आर्थिक, सामाजक, धार्मक, नैतिक और सृजनात्मक उपादानों तक बहुत दूर तक फैले हुए हैं। संस्कृति का विकास मानव की जैविक स्तर एक सुसंगठित व्यवस्था की ओर अग्रसर होती यात्रा का परिणाम है। 'संस्कृति' शब्द 'कृष्टि' शब्द से बना है, जिसकी व्युत्पत्ति संस्कृत की 'कृष' धातु से मानी जाती है, जिसका अर्थ है- 'खेती करना', संवर्धन करना, बोना आदि होता है। सांकेतिक अथवा लाक्षणिक अर्थ होगा- जीवन की मिट्टी को जोतना और बोना। ‘संस्कृति’ शब्द का अंग्रेजी पर्याय "कल्चर" शब्द भी वही अर्थ देता है। कृषि के लिए जिस प्रकार भूमि शोधन और निर्माण की प्रक्रिया आवश्यक है, उसी प्रकार संस्कृति के लिए भी मन के संस्कार–परिष्कार की अपेक्षा होती है। संस्कृति की अनेक परिभाषाएँ की गई हैं, किन्तु वे सभी इस बात का समर्थन करती हैं कि संस्कृति परिष्कार, परिमार्जन और शोधन की ही एक क्रिया है, जिसमें व्यक्ति और समाज एक व्यापक बौद्धिक चेतना तथा सौन्दर्य बोध से अपना सृजनात्मक व्यवहार निर्मित करता है। संस्कृति मनुष्य को मात्र उपयोगी क्रिया–कलापों की सीमा का अतिक्रमण कराती है और चेतना को अध्यात्म, सौन्दर्य और सृजन के स्तर पर प्रतिष्ठित कराती है। इस तरह संस्कृति एक प्रकार की खेती है। यह खेती है भावों और विचारों की, आचार और व्यवहारों की, मूल्यों और जीवन दर्शन की। यह अनुभूति और अनुभव दोनों हैं। किसी जाति की संस्कृति का अध्ययन उस जाति के आचार–विचार और जीवन दर्शन अथवा जीवन पद्धति का अध्ययन भी है। संस्कृति जन की सोच, समझ और अभिरूचि का ही संकेत नहीं देती वरन सामाजिक और आध्यात्मिक चेतना का भी परिचय कराती है। |
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